काम क्रोध लोभ मोह अहंकार के प्रतिकार हेतु
काम वासना सताये तो आंखों को उल्टा दो अथवा दायें गट्टे पर मुक्के मारें क्रोध आये तो जीभ को उल्टा दो (खेचरी लगा लो) लोभ आये तो नासिका को दो अंगुलियों से बन्द करें मोह जागे तो सिर में मुक्के मारें अहंकार की अवस्था में कान मरोडें . मोह को विचार से (संसार की नश्वरता पर विचार करने से), विचार को यथार्थ बोध से, क्रोध को क्षमा से लोभ को सन्तोष से और अहंकार को नम्रता से जीत सकते हैं
काम वासना सताये तो आंखों को उल्टा दो अथवा दायें गट्टे पर मुक्के मारें क्रोध आये तो जीभ को उल्टा दो (खेचरी लगा लो) लोभ आये तो नासिका को दो अंगुलियों से बन्द करें मोह जागे तो सिर में मुक्के मारें अहंकार की अवस्था में कान मरोडें . मोह को विचार से (संसार की नश्वरता पर विचार करने से), विचार को यथार्थ बोध से, क्रोध को क्षमा से लोभ को सन्तोष से और अहंकार को नम्रता से जीत सकते हैं
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