शास्त्रों में मुक्ति के पाँच प्रकार बताए हैं- प्रथम ब्रम्ह ज्ञान, द्वितीय भक्ति द्वारा भगवत्कृपा की प्राप्ति, तृतीय पुत्र-पौत्रादि, गौत्रजों, कुटुम्बियों तथा अन्य व्यक्तियों द्वारा गया आदि तीर्थो में सम्पादित श्राद्ध कर्म, चतुर्थ धर्म युद्ध तथा गौर रक्षा आदि में मृत्यु तथा पंचम कुरूक्षेत्र आदि प्रधान तीर्थो और सात प्रधान मोक्षदायिनी पुरियों में निवासपूर्वक शरीर त्याग। सभी तीर्थ फल देने वाले एवं पुण्य प्रदान करने वाले होते हैं। अपनी अद्भुत विशेषताओं के कारण ये पुरियां अत्यंत ही प्रसिद्ध हैं|| "अयोध्या मथुरा माया काशी कांची ह्यवन्तिका। पुरी द्वारावती श्रेया: सप्तैता मोक्षदायका:||"
अर्थात् अयोध्या, मथुरा, मायावती (हरिद्वार), काशी (वाराणसी), कांची उज्जैन एवं द्वारका ये सात पुरियाँ मोक्ष प्रदान करने वाली है। 1. अयोध्या : यह सात मोक्षदायिनी पुरियों में प्रधान एवं प्रथम हैं यह पुरी भगवान श्रीहरि के सुदर्शन चक्र पर बसी है। श्रीराम की जन्मभूमि होने के कारण इसका महत्व बहुत है। इसका आकार मछली के समान है एवं स्कन्धपुराण के वैष्णव खण्ड के अयोध्या महात्म्य के अनुसार अयोध्या का मान सहस्त्रधारा तीर्थ अयोध्या महात्म्य के अनुसार अयोध्या का मान सहस्त्रधारा तीर्थ एक योजन पूर्व तक, ब्रम्हकुण्ड से एक योजन पश्चिम तक दक्षिण में तामसा नदी तक एवं उत्तर में सरयु नदी तक है।
अयोध्या में ब्रम्हा जी द्वारा निर्मित ब्रम्हकुण्ड है एवं सीताजी द्वारा सीताकुण्ड भी है जिसे भगवान राम ने वर देकर समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला बना दिया है। इस कुण्ड में स्नान से सभी पापों की मुक्ति होती है। यहां सहस्त्रधारा से पूर्व स्वर्गद्वार है। इस स्थान पर यज्ञ, हवन, दान, पुण्यादि अक्षय हो जाता है। 2. मथुरा-वृंदावन : यह यमुना नदी के दोनों तरफ बसा है। यमुना नदी के दक्षिण भाग में इसका विस्तार ज्यादा है। यमुना जी का भी महत्व है क्योंकि यमुना जी यमराज की बहन है। श्रीकृष्ण की प्रेमिका है एवं भगवान कृष्ण की जन्मभूमि के कारण इसका महात्म्य ज्यादा है। 3. हरिद्वार : यह तीसरी पवित्र पुरी है। यहाँ सतीमाता की मूर्ति है एवं शक्तिपीठ होने के कारण इसका महत्व है। कनखल से ऋषिकेश तक के क्षेत्र मायापुरी (हरिद्वार) कहलाता है। गंगा माता पर्वतों से उतरकर सर्वप्रथम यहीं समतल भूमि पर प्रवेश करती है एवं मनुष्यों के पापों की निवृत्ति करती है। 4. काशी या वाराणसी : यह नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी है। इस नगरी के लिये यह कहा जाता है कि यह नगरी प्रलयकाल में भी नष्ट नहीं होगी। वरूण और असी के मध्य होने से इसे वाराणसी कहा गया है। यहाँ पर राजघाट, दुर्गाघाट, सिन्धिया घाट, ललिता घाट, केदार घाट आदि सैक़डों घाट है एवं विश्वेश्वर लिङग् स्वरूप विश्वनाथ मन्दिर, अन्नपूर्णा मन्दिर, ज्ञानवाणी, ढुण्ढिराज, गणेश, दण्डपाणि लागुरश्वर, दुर्गा मंदिर, हनुमान मंदिर, पिशाच मोचन तथा सहस्त्रों अन्य मन्दिर एवं पवित्र तीर्थ स्थान है जो काशी की शोभा एवं महात्म्य को बढ़ाते है। काशी की महिमा पर काशी रहस्य एवं काशी खण्ड दो विशाल है। 5. कांची : पेलार नदी के तट पर स्थित शिव कांची एवं विष्णु कांची नामों से विभक्त हरिहरात्मक पुरी है। शिव कांची विष्णुमांची से ब़डी है। यह मद्रास से 75 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित है। यहाँ एकायेश्वर मन्दिर तथा वामन मन्दिर, कामख्या मन्दिर, सुब्रम्हण्यम मन्दिर आदि तीर्थ है एवं सर्वतीर्थ सरोवर भी है।
विष्णु कांची में बरदराज स्वामी तथा देवराज स्वामी के मन्दिर है एवं अन्य कई मन्दिर इसकी महिमा बढ़ाते हैं। 6. उज्जैन : उज्जैन को पृथ्वी की नाभि कहा जाता है। यहाँ महाकाल ज्योतिर्लिङग् और हरसिद्दी देवी का शक्तिपीठ प्रसिद्ध है। यह हैहयवंशी राजा कार्तवीर्य की राजधानी भी रहा है। विक्रमादित्य के समय में यह सम्पूर्ण भारत की राजधानी रही है। उज्जैन पुरी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 115 किलोमीटर पश्चिम में है। यहाँ शिप्रा नदी शहर के बीचोंबीच से बहती है। यहाँ ब़डे गणेश, सिद्धवट काल भैरव मन्दिर, यन्त्र महल माधव क्षेत्र अंकपाद आदि विशेष प्रसिद्ध है। अंकपाद में ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपने गुरू संदीपनी ऋषि से 32 विद्या एवं 64 कलाओं का अध्ययन प्राप्त किया था। यहाँ व्यास तीर्थ नीलगङगा संगम, बिल्वकेश्वर महादेव, रूद्र सरोवर आदि तीर्थ भी प्रसिद्ध है। 7. द्वारका : द्वारका चार धामों में परिगणित है। यह सातवीं पुरी है जो वर्तमान में गुजरात प्रदेश के काठियाव़ाड जिले के पश्चिम समुद्र तट पर स्थित है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन का अधिकांश समय यहीं व्यतीत किया था। श्रीकृष्ण के पहले यहाँ कुकुद्मी का राज्य था जिनकी कन्या रेवती से बलदेव जी का विवाह हुआ था। यहाँ निष्पाप सरोवर, रणछो़ड जी मन्दिर, श्रीकृष्ण महल, वल्लभाचार्य की बैठक, वासुदेव मन्दिर, शंखोद्वार तीर्थ, नागनाथ पिण्डारथ तीर्थ, कामनाथ माधवपुर, नारायण सरोवर आदि कई महत्वपूर्ण तीर्थ है।
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