“काली काली महा-काली, इन्द्र की बेटी, ब्रह्मा की साली। पीती भर भररक्त प्याली, उड़ बैठी पीपल की डाली। दोनोंहाथ बजाए ताली। जहाँ जाएवज्र की ताली, वहाँ ना आए दुश्मन हाली। दुहाई कामरो कामाख्या नैनायोगिनी की, ईश्वर महादेव गोरा पार्वती की, दुहाई वीर मसान की।।”
विधिः- प्रतिदिन १०८ बार ४० दिन तक जप कर सिद्ध करे। प्रयोग केसमय पढ़कर तीन बार जोर से ताली बजाए।जहाँ तक ताली कीआवाज जायेगी, दुश्मन का कोई वार या भूत, प्रेत असर नहीं करेगा।
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