भारतीय कालगणना के अनुसार 14 मनुओं का समय बीतने और प्रलय होने के पश्चात् पुनर्निर्माण तथा नई सृष्टि का आरंभ दीपावली के दिन ही हुआ माना जाता है। नवारंभ के कारण कार्तिक अमावस्या को कालरात्रि भी कहा जाने लगा है।
इस दिन सूर्य अपनी सातवीं अर्थात् तुला राशि में प्रवेश करता है तथा उत्तरार्द्ध का आरंभ होता है। अतः कार्तिक मास की पहली अमावस्या ही नई शुरुआत और नव निर्माण का समय होता है।
जीविद्यार्णव तंत्र में कालरात्रि को शक्ति रात्रि की संज्ञा दी गई है। कालरात्रि को शत्रु विनाशक माना गया है, साथ ही शुभत्व का प्रतीक, सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला माना गया है।
एक मान्यता के अनुसार यह मां लक्ष्मी का जन्म दिवस का भी है। कुछ स्थानों पर कोजागरा को देवी लक्ष्मी का जन्म दिवस माना जाता है।
इस दिन सूर्य अपनी सातवीं अर्थात् तुला राशि में प्रवेश करता है तथा उत्तरार्द्ध का आरंभ होता है। अतः कार्तिक मास की पहली अमावस्या ही नई शुरुआत और नव निर्माण का समय होता है।
जीविद्यार्णव तंत्र में कालरात्रि को शक्ति रात्रि की संज्ञा दी गई है। कालरात्रि को शत्रु विनाशक माना गया है, साथ ही शुभत्व का प्रतीक, सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला माना गया है।
एक मान्यता के अनुसार यह मां लक्ष्मी का जन्म दिवस का भी है। कुछ स्थानों पर कोजागरा को देवी लक्ष्मी का जन्म दिवस माना जाता है।