Friday, September 09, 2011

देवी दुर्गा



देवी दुर्गा शक्ति का साक्षात स्वरूप है। दुर्गा शक्ति में दमन का भाव भी जुड़ा है। यह दमन या अंत होता है शत्रु रूपी दुर्गुण, दुर्जनता, दोष, रोग या विकारों का। ये सभी जीवन में अड़चनें पैदा कर सुख-चैन छीन लेते हैं। यही कारण है कि देवी दुर्गा के कुछ खास और शक्तिशाली मंत्रों का देवी उपासना के विशेष काल में ध्यान शत्रु, रोग, दरिद्रता रूपी भय बाधा का नाश करने वाला माना गया है।

अगर आप भी जीवन में ऐसी मुश्किलों का सामना करें तो यहां बताए जा रहे देवी दुर्गा गायत्री के दिव्य मंत्र का स्मरण जरूर करें। यथासंभव प्रात: देव उपासना के दौरान देवी दुर्गा की पूजा कर नीचे लिखा दुर्गा गायत्री मंत्र बोलें-

- शुक्रवार या नवमी को स्नान के बाद देवी दुर्गा की प्रतिमा की पंचोपचार पूजा करें। जिसमें कुंकूम, चंदन, अक्षत, गुड़हल के फूल, लाल वस्त्र, सुपारी, कलेवा,  फल, दक्षिणा चढ़ाकर देवी को तिल या गुड़ या इससे बने पकवानों का भोग लगाएं।

- पूजा के बाद लाल आसन पर बैठ स्फटिक माला से या मन ही मन नीचे लिखे दुर्गा गायत्री मंत्र का पाठ यथाशक्ति अधिक से अधिक बार या 108 बार संकटमोचन और भय-बाधा से मुक्ति की कामना के साथ करें -

ॐ गिरिजायै विद्महे, 

शिव प्रियायै धीमहि,

तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।।

- पूजा व मंत्र जप के बाद देवी आरती धूप, दीप व कर्पूर से करें। अपने दोषों की क्षमा मांग व प्रसाद ग्रहण करें।

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