Sunday, September 18, 2011

जब भी मंदिर जाएं, जरूर करें ऐसे प्रणाम

शास्त्रों के अनुसार सुख हो दुख हर पल भगवान का ध्यान करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, जो कि हमारे कई जन्मों पापों को नष्ट कर देता है। आजकल की भागती-दौड़ती जिंदगी में बहुत कम लोग हैं जिन्हें विधिवत भगवान की पूजा-आराधना का समय मिल पाता है। ऐसे में भगवान की पूजा के लिए सभी मंदिर जाते हैं और केवल हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हैं। जबकि भगवान के सामने साष्टांग प्रणाम करने पर आश्चर्यजनक शुभ फल प्राप्त होते हैं।

भगवान को साष्टांग प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है। इस परंपरा के पीछे विज्ञान भी है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। साष्टांग प्रणाम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारे शरीर का व्यायाम होता है। साष्टांग प्रणाम की बहुत ही सामान्य विधि हैं। इसके लिए भगवान के सामने आराम से बैठ जाएं और फिर धीरे-धीरे पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। दोनों हाथों को सिर के आगे ले जाकर जोड़कर नमस्कार करें। इस प्रणाम से हमारे सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, इससे भी स्ट्रेस दूर होता है। इसके अलावा झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो स्वास्थ्य और आंखों के लिए लाभप्रद होता है। प्रणाम करने की यही विधि सबसे ज्यादा फायदेमंद है। इसका धार्मिक महत्व काफी गहरा है ऐसा माना जाता है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। भगवान के प्रति हमारे मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार स्वत: ही खत्म होता है। जब भगवान के समक्ष हम तन और मन समर्पण कर देते हैं तो यह अवस्था निश्चित ही हमारे मन को असीम शांति प्रदान करती हैं। इसके अलावा इस प्रकार प्रणाम करने से हमारे जीवन की कई समस्याएं स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं।

क्यों होते हैं पहाड़ों पर देवी के मंदिर?

जम्मू में वैष्णव देवी हो या हरिद्वार में मनसा देवी, अधिकतर माता मंदिरों का स्थान पहाड़ ही होते हैं। इसीलिए देवी का एक नाम पहाड़ोंवाली भी है। कई बार हमारे मन में भी यह सवाल उठता है कि आखिर माता के पुराने मंदिर अधिकतर पहाड़ों पर ही क्यों होते हैं? क्या इन पहाड़ों से माता का कोई संबंध है? या पौराणिक काल में कोई परंपरा रही होगी। इसका जवाब बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर माता जमीन पर मैदानी इलाकों की बजाय पहाड़ों पर को विराजित हैं। 

वास्तव में इन पहाड़ों और पूरी धरती से माता का संबंध बहुत गहरा है। हमारे वेद-पुराणों में को प्रकृति के पांच कारक तत्व माने गए हैं वे हैं जल, अग्रि, वायु, धरती और आकाश। इन पांचों के एक-एक अधिपति देवता हैं क्रमश: गणेश, सूर्य, शिव, शक्ति और विष्णु। धरती यानी पृथ्वी की अधिपति शक्ति यानी देवी हैं। 

शेष चारों प्रमुख देवता हैं। शक्ति यानी दुर्गा को संपूर्ण धरती की अधिष्ठात्री माना गया है। वे शक्ति का रूप हैं। एक तरह से मानें तो वे पृथ्वी की राजा हैं। भारतीय मनीषियों ने पहाड़ों को पृथ्वी का मुकुट और सिंहासन माना है। माता इस संपूर्ण सृष्टि की अधिनायक हैं, इसलिए वे सिंहासन पर विराजित हैं। 

जल से हमारी संस्कृति और सभ्यता का आरंभ हुआ जिसे पृथ्वी ने पूर्ण पोषण दिया। पृथ्वी हमारी मां हैं, इसलिए इसकी अधिष्ठाता कोई देव न होकर देवी हैं। यही एक कारण है कि लगभग सभी महत्वपूर्ण और प्राचीन देवी मंदिर पहाड़ों पर ही स्थित हैं।

इन पांच चीजों का चमत्कारी धुआं, घर में नेगेटिव को बना देगा पॉजीटिव

यदि किसी घर-परिवार में अक्सर परेशानियां बनी रहती हैं। परिवार का कोई न कोई सदस्य हमेशा बीमार या अस्वस्थ रहता है। धन संबंधी परेशानियां बनी रहती है। छोटे-छोटे कार्य भी बड़ी कठिनाई से पूर्ण होते हैं। तब संभव है कि उस घर में कोई वास्तु दोष हो, कोई नकारात्मक शक्ति सक्रिय हो। इस प्रकार के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए यह उपाय अपनाएं।

वास्तु संबंधी दोषों को दूर करने और घर के वातावरण में फैली नकारात्मक ऊर्जा को प्रभावहीन करने के लिए वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाना चाहिए। इसके लिए सुबह-सुबह घर में लोबान, गुग्गल, कपूर, देशी घी एवं चंदन का चूरा एक साथ मिलाकर गाय के कंडे पर धूनी दें। पूरे घर में इस धूनी का धुआं फैलाएं। इसके प्रभाव से वातावरण में मौजूद नकारात्मक शक्तियां प्रभावहीन हो जाएंगी और सकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ेगा।

यह सभी पांचों सामग्रियां पवित्र मानी गई हैं। पूजन-कर्म में इनका विशेष महत्व होता है। यह सभी वस्तुएं घर के आसपास के क्षेत्र को पूरी तरह पवित्र बना देती हैं। ऐसा करने पर देवी-देवताओं की विशेष कृपा परिवार पर रहती है और सदस्यों के कार्य समय पर पूर्ण होते हैं। धन संबंधी परेशानियों का नाश होता है। साथ ही बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है।

इस टोटके से आप हो जाएंगे मालामाल

तंत्र शास्त्र में धन प्राप्ति के कई टोटके बताए गए हैं। इन टोटकों को करने से धन आदि सभी सुखों की प्राप्ति होती है। धन प्राप्ति का ऐसा ही एक अचूक टोटका इस प्रकार है-

टोटका

शुक्ल पक्ष के किसी शुक्रवार के दिन सुबह नहाकर साफ वस्त्र धारण करें और अपने सामने इस दक्षिणावर्ती शंख को रखें। शंख पर केसर से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का जप करें। मंत्र जप के लिए स्फटिक की माला का प्रयोग करें।

मंत्र

ऊँ श्रीं ह्रीं दारिद्रय विनाशिन्ये धनधान्य समृद्धि देहि देहि नम:

इस मंत्रोच्चार के साथ-साथ एक-एक चावल इस शंख के मुंह में डालते रहें। चावल टूटे न हो इस बात का ध्यान रखें। इस तरह रोज एक माला मंत्र जप करें। यह प्रयोग 30 दिन तक करें। पहले दिन का जप समाप्त होने के बाद शंख में चावल रहने दें और दूसरे दिन एक डिब्बी में उन चावलों को डाल दें। इस तरह एक दिन के चावल दूसरे दिन उठाकर डिब्बे में डालते रहें।।

30 दिन बाद जब प्रयोग समाप्त हो जाए तो चावलों व शंख को एक सफेद कपड़े में बांधकर अपने पूजा घर में, फैक्ट्री, कारखाने या ऑफिस में स्थापित कर दें। इस प्रयोग से आपके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।

Friday, September 09, 2011

देवी दुर्गा



देवी दुर्गा शक्ति का साक्षात स्वरूप है। दुर्गा शक्ति में दमन का भाव भी जुड़ा है। यह दमन या अंत होता है शत्रु रूपी दुर्गुण, दुर्जनता, दोष, रोग या विकारों का। ये सभी जीवन में अड़चनें पैदा कर सुख-चैन छीन लेते हैं। यही कारण है कि देवी दुर्गा के कुछ खास और शक्तिशाली मंत्रों का देवी उपासना के विशेष काल में ध्यान शत्रु, रोग, दरिद्रता रूपी भय बाधा का नाश करने वाला माना गया है।

अगर आप भी जीवन में ऐसी मुश्किलों का सामना करें तो यहां बताए जा रहे देवी दुर्गा गायत्री के दिव्य मंत्र का स्मरण जरूर करें। यथासंभव प्रात: देव उपासना के दौरान देवी दुर्गा की पूजा कर नीचे लिखा दुर्गा गायत्री मंत्र बोलें-

- शुक्रवार या नवमी को स्नान के बाद देवी दुर्गा की प्रतिमा की पंचोपचार पूजा करें। जिसमें कुंकूम, चंदन, अक्षत, गुड़हल के फूल, लाल वस्त्र, सुपारी, कलेवा,  फल, दक्षिणा चढ़ाकर देवी को तिल या गुड़ या इससे बने पकवानों का भोग लगाएं।

- पूजा के बाद लाल आसन पर बैठ स्फटिक माला से या मन ही मन नीचे लिखे दुर्गा गायत्री मंत्र का पाठ यथाशक्ति अधिक से अधिक बार या 108 बार संकटमोचन और भय-बाधा से मुक्ति की कामना के साथ करें -

ॐ गिरिजायै विद्महे, 

शिव प्रियायै धीमहि,

तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।।

- पूजा व मंत्र जप के बाद देवी आरती धूप, दीप व कर्पूर से करें। अपने दोषों की क्षमा मांग व प्रसाद ग्रहण करें।

श्वेतार्क गणपति



भगवान गणेश अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। गणेशोत्सव के अंतर्गत यदि कुछ साधारण उपाय किए जाएं तो हर कामना पूरी हो सकती है। 1 सितंबर से प्रारंभ हुआ गणेशोत्सव 11 सितंबर तक रहेगा। इन दिनों में यदि नीचे लिखा उपाय करेंगे तो अवश्य धन लाभ होगा।

उपाय

गणेशोत्सव के दौरान(1 सितंबर से 11 सितंबर) घर में श्वेतार्क गणपति अर्थात आंकड़े के गणेश की स्थापना करें व उन्हें प्रतिदिन लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद लाल चंदन की माला से नीचे लिखे मंत्र का 11 माला जप करें। यह क्रम निरंतर जारी रखें।

मंत्र

ऊँ नमो सिद्धिविनायकाय सर्वकार्यकत्र्रे सर्वविघ्नप्रशमनाय

सर्वराज्यवस्यकरणाय सर्वजनसर्वस्त्रीपुरुषाकर्षणाय श्रीं ऊँ स्वाहा



आपके देखेंगे कि कुछ ही समय में पैसे से संबंधित आपकी हर समस्या दूर जाएगी ।