Saturday, June 12, 2010
Sunday, June 06, 2010
क्या है कृष्ण की रासलीला का सच ?
क्या है कृष्ण की रासलीला का सच ?
कुछ लोग अपने आपको कृष्ण भक्त या कृष्ण केअनुयाई बताकर चेहरे पर बड़े गर्व के भाव व्यक्त करतेहुए घूमते हैं। यदि उनसे पूछा जाए कि क्या है कृष्णका मतलब? क्या था कृष्ण का व्यक्तित्व, और क्या कहते हैं कृष्ण अपनी गीता में? क्या रसिया कृष्ण कीगीता में रासलीला का बड़ा ही सुन्दर वर्णन आयाहै?इतना पूछने पर, अपने आप को कृष्ण का अनुयाईकहने वाले ये तथाकथित कृष्ण भक्त खिसियाकरबगलें झांकने लगते हैं।
वास्तविकता यह है कि रास शब्द 'रसÓ से ही बना है।जबकि रस शब्द का अर्थ है आनंद। आगे चलकर हमदेखते हैं कि संगीत के साथ किये जाने वाले नृत्य कोही काव्य अथवा साहित्य में 'रासÓ संज्ञा से सूचितकिया जाने लगा। पता नहीं रासलीला को लेकर समाजमें यह गलत मान्यता कैसे प्रचलित हो गई। संस्कृतकवि जयदेव ने अपने काव्य में कृष्ण को नायकबनाकर कई श्रृंगारिक गीतों की रचना की जो कि पूरीतरह काल्पनिक एवं मनगढ़ंत हैं। जयदेव की परंपराको ही बाद में विद्यापति....से लेकर सूरदास ने आगेबढ़ाया।
नौ वर्ष के कृष्ण- एक अति महत्वपूर्ण बात और भीहै जिससे बहुत कम ही लोग परिचित हैं। वह यह हैकि जब कृष्ण ने हमेशा-हमेशा के लियेगोकुल-वृंदावन छोड़ा तब उनकी उम्र मात्र नौ वर्ष कीथी। इससे यह तो स्पष्ट ही है कि कृष्ण जबगोप-गोपिकाओं के साथ गौकुल-वृंदावन में थे तब नौवर्ष से भी छोटे रहे होगें। अति मनोहर रूप, बांसुरीबजाने में अत्यंत निपुण,अवतारी आत्मा होने केकारण जन्मजात प्रतिभाशाली आदि तमाम बातों केकारण वे आसपास के पूरे क्षेत्र में अत्यंत् लोकप्रिय थे।नौ वर्ष के बालक का गोपियों के साथ नृत्य करना एकविशुद्ध प्रेम और आनंद का ही विषय हो सकता है।अत: कृष्ण रास को शारीरिक धरातल पर लाकर उसमेंमोजमस्ती या भोग विलास जेसा कुछ ढूंढना इंसान कीस्यवं की फितरत पर निर्भर करता है। कृष्ण के प्रतिकोई राय बनाने से पूर्व इंसान को गीता को समझनाहोगा क्योंकि उसके बिना कोई कृष्ण को वास्तविकरूप में समझ ही नहीं पाएगा।
वास्तविकता यह है कि रास शब्द 'रसÓ से ही बना है।जबकि रस शब्द का अर्थ है आनंद। आगे चलकर हमदेखते हैं कि संगीत के साथ किये जाने वाले नृत्य कोही काव्य अथवा साहित्य में 'रासÓ संज्ञा से सूचितकिया जाने लगा। पता नहीं रासलीला को लेकर समाजमें यह गलत मान्यता कैसे प्रचलित हो गई। संस्कृतकवि जयदेव ने अपने काव्य में कृष्ण को नायकबनाकर कई श्रृंगारिक गीतों की रचना की जो कि पूरीतरह काल्पनिक एवं मनगढ़ंत हैं। जयदेव की परंपराको ही बाद में विद्यापति....से लेकर सूरदास ने आगेबढ़ाया।
नौ वर्ष के कृष्ण- एक अति महत्वपूर्ण बात और भीहै जिससे बहुत कम ही लोग परिचित हैं। वह यह हैकि जब कृष्ण ने हमेशा-हमेशा के लियेगोकुल-वृंदावन छोड़ा तब उनकी उम्र मात्र नौ वर्ष कीथी। इससे यह तो स्पष्ट ही है कि कृष्ण जबगोप-गोपिकाओं के साथ गौकुल-वृंदावन में थे तब नौवर्ष से भी छोटे रहे होगें। अति मनोहर रूप, बांसुरीबजाने में अत्यंत निपुण,अवतारी आत्मा होने केकारण जन्मजात प्रतिभाशाली आदि तमाम बातों केकारण वे आसपास के पूरे क्षेत्र में अत्यंत् लोकप्रिय थे।नौ वर्ष के बालक का गोपियों के साथ नृत्य करना एकविशुद्ध प्रेम और आनंद का ही विषय हो सकता है।अत: कृष्ण रास को शारीरिक धरातल पर लाकर उसमेंमोजमस्ती या भोग विलास जेसा कुछ ढूंढना इंसान कीस्यवं की फितरत पर निर्भर करता है। कृष्ण के प्रतिकोई राय बनाने से पूर्व इंसान को गीता को समझनाहोगा क्योंकि उसके बिना कोई कृष्ण को वास्तविकरूप में समझ ही नहीं पाएगा।
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