Sunday, July 03, 2011

श्री लक्ष्मी द्वादशनाम स्तोत्रम्

देवी लक्ष्मी की जिस पर कृपा हो जाए उस व्यक्ति को जीवन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती। पैसा, इज्जत, शोहरत सभी कुछ उसके पास होता है। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्र, स्तुति व श्लोकों की रचना कई गई है। इन्हीं में श्री लक्ष्मी द्वादशनाम स्तोत्रम् भी एक है।

इस स्त्रोत का प्रतिदिन जप करने से मां लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती है और साधक को मनचाहा फल प्रदान करती है। यह स्तुति इस प्रकार है-



श्री लक्ष्मी द्वादशनाम स्तोत्रम्



ईश्वरीकमला लक्ष्मीश्चलाभूतिर्हरिप्रिया।

पद्मा पद्मालया संपत् रमा श्री: पद्मधारिणी।।

द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्।

स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्रदारादिभिस्सह।।



जप विधि

- सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर देवी लक्ष्मी का पूजन करें। उन्हें लाल गुलाब के फूल अर्पित करें।

- देवी लक्ष्मी की मूर्ति के सामने आसन लगाकर स्फटिक की माला लेकर इस स्त्रोत का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है।

- आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है।

- एक ही समय, आसन व माला हो तो यह स्त्रोत जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।

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