देवी लक्ष्मी की जिस पर कृपा हो जाए उस व्यक्ति को जीवन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती। पैसा, इज्जत, शोहरत सभी कुछ उसके पास होता है। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्र, स्तुति व श्लोकों की रचना कई गई है। इन्हीं में श्री लक्ष्मी द्वादशनाम स्तोत्रम् भी एक है।
इस स्त्रोत का प्रतिदिन जप करने से मां लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती है और साधक को मनचाहा फल प्रदान करती है। यह स्तुति इस प्रकार है-
श्री लक्ष्मी द्वादशनाम स्तोत्रम्
ईश्वरीकमला लक्ष्मीश्चलाभूतिर्हरिप्रिया।
पद्मा पद्मालया संपत् रमा श्री: पद्मधारिणी।।
द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्।
स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्रदारादिभिस्सह।।
जप विधि
- सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर देवी लक्ष्मी का पूजन करें। उन्हें लाल गुलाब के फूल अर्पित करें।
- देवी लक्ष्मी की मूर्ति के सामने आसन लगाकर स्फटिक की माला लेकर इस स्त्रोत का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है।
- आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है।
- एक ही समय, आसन व माला हो तो यह स्त्रोत जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।

तंत्र प्रयोगों में अनेक वनस्पतियों का भी उपयोग किया जाता है, बांदा भी उन्हीं में से एक है। बांदा एक प्रकार का पौधा होता है जो जमीन पर न उगकर किसी वृक्ष पर उगता है। इस प्रकार यह एक परोपजीवी पौधा है जो किसी अन्य पेड़-पौधे पर उगकर उसी के तत्वों से पोषित होता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार प्रत्येक पेड़ पर उगा बांधा एक विशेष फल देता है। जानते हैं किस पेड़ का बांदा किस कार्य के लिए उपयोगी होता है-
1- बेर का बांदा- बेर के बांदे को विधिवत तोड़ कर लाने के पश्चात देव प्रतिमा की तरह इसको स्नान करवाएं व पूजा करें। इसके बाद इसे लाल कपड़े में बांधकर धारण कर लें। इस प्रकार आप जो भी इससे मांगेंगे वह सब आपको प्राप्त होगा।
2- बरगद का बांदा- यह बांदा बाजू में बांधने से हर कार्य में सफलता मिलती है और कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता।
3- हरसिंगार का बांदा- यह बांदा काफी मुश्किल से मिलता है। यदि हरसिंगार के बांदे को पूजा करने के बाद लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें तो आपको कभी धन की कमी नहीं होगी।
4- अनार का बांदा- इस बांदे को पूजा करने के बाद घर में रखने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती और न ही भूत-प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश होता है।
5- आंवले का बांदा- आंवले का बांदा भुजा में बांधने से चोर, डाकू, हिंसक पशु का भय नहीं रहता।
6- नीम का बांदा- नीम के बांदे को अपने दुश्मन से स्पर्श करा दें तो उसके बुरे दिन शुरु हो जाते हैं।
7- आम का बांदा- इस पेड़ के बांदे को भुजा पर धारण करने से कभी भी आपकी हार नहीं होती और विजय प्राप्त होती है।

धार्मिक दृष्टि से हम सभी जानते हैं कि नवरात्रि देवी स्मरण से शक्ति साधना की शुभ घड़ी है। दरअसल, इस शक्ति साधना के पीछे छुपा व्यावहारिक पक्ष यह है कि नवरात्रि का समय मौसम के बदलाव का होता है। आयुर्वेद के मुताबिक इस बदलाव से जहां शरीर में वात, पित्त, कफ में दोष पैदा होते हैं, वहीं बाहरी वातावरण में रोगाणु। जो अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं। सुखी-स्वस्थ जीवन के लिये इनसे बचाव बहुत जरूरी है।
नवरात्रि के विशेष काल में देवी उपासना के माध्यम से खान-पान, रहन-सहन और देव स्मरण में अपनाने गए संयम और अनुशासन तन व मन को शक्ति और ऊर्जा देते हैं। जिससे इंसान निरोगी होकर लंबी आयु और सुख प्राप्त करता है।
यही कारण है कि व्यावहारिक उपाय के साथ धार्मिक उपायों को जोड़कर शास्त्रों में देवी उपासना के कुछ विशेष मंत्रों का स्मरण सामान्य ही नहीं गंभीर रोगों की पीड़ा को दूर करने वाला माना गया है।
इन रोगनाशक मंत्रों का नवरात्रि के विशेष काल में ध्यान अच्छी सेहत के लिये बहुत ही असरदार माना गया है। जानते हैं यह रोगनाशक विशेष देवी मंत्र -
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
- धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के अलावा हर रोज भी इस मंत्र का यथसंभव 108 बार जप तन, मन व स्थान की पवित्रता के साथ करने से संक्रामक रोग सहित सभी गंभीर बीमारियों का भी अंत होता है। घर-परिवार रोगमुक्त होता है।
इस मंत्र जप के पहले देवी की पूजा पारंपरिक पूजा सामग्रियों से जरूर करें। जिनमें गंध, फूल, वस्त्र, फल, नैवेद्य शामिल हो। इतना भी न कर पाएं तो धूप व दीप जलाकर भी इस मंत्र का ध्यान कर आरती करना भी बहुत शुभ माना गया है।

गुप्त नवरात्रि जगतजननी दुर्गा की उपासना से शक्ति और मनोरथ सिद्धि का विशेष काल माना गया है। इस बार यह शुभ काल 2 जुलाई से लेकर 10 जुलाई तक रहेगा। शास्त्रों के मुताबिक संसार में प्राणी, वनस्पति, ग्रह-नक्षत्र सभी में दिखाई देने वाली या अनुभव होने वाली हर तरह की शक्तियां आदिशक्ति का ही स्वरूप है। यह आदिशक्ति ही ब्रह्मरूप है।
वेदों में जगतजननी जगदंबा द्वारा स्वयं कहा गया है कि वह ही पूरे ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री है। इसलिए सभी कर्मफल और सुख-समृद्धि मेरे द्वारा ही प्रदान किए जाते हैं।
अगर आप भी जीवन से जुड़ी इच्छाओं जैसे धन, पद, संतान या सम्मान को पूरा करना चाहते हैं तो यहां बताए जा रहे देवी दुर्गा के एक मंत्र का जप गुप्त नवरात्रि, शुक्रवार, नवमी तिथि पर जरूर करें। यह मंत्र सरल है और पारंपरिक धार्मिक कार्यों में भी स्मरण किया जाता है।
जानते हैं यह मंत्र और देवी उपासना की सरल विधि -
- गुप्त नवरात्रि में सुबह या विशेष रूप से रात्रि में दिन के मुताबिक देवी के अलग-अलग स्वरूपों का ध्यान कर सामान्य पूजा सामग्री अर्पित करें।
- पूजा में लाल गंध, लाल फूल, लाल वस्त्र, आभूषण, लाल चुनरी चढ़ाकर फल या चना-गुड़ का भोग लगाएं। धूप व दीप जलाकर माता के नीचे लिखे मंत्र का नौ ही दिन कम से कम एक माला यानी 108 बार जप करना बहुत ही मंगलकारी होता है -
सर्व मंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।
- मंत्र जप के बाद देवी की आरती करें और मंगल कामना करते हुए अपनी समस्याओं को दूर करने के लिये मन ही मन देवी से प्रार्थना करें।

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा (इस बार 2 जुलाई, शनिवार) से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है, जिसका समापन आषाढ़ शुक्ल दशमी (10 जुलाई, रविवार) को होगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में प्रमुख रूप से भगवान शंकर व देवी शक्ति की आराधना की जाती है। इनकी आराधना करने से गुप्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इन दिनों किए जाने वाले टोने-टोटके भी बहुत प्रभावशाली होते हैं, जिनके माध्यम से कोई भी मनोकामना पूर्ति कर सकता है। गुप्त नवरात्रि में किए जाने वाले कुछ टोटके इस प्रकार हैं-
1- यदि लड़की के विवाह में बाधा आ रही है तो गुप्त नवरात्रि में पडऩे वाले गुरुवार (इस बार 7 जुलाई) के दिन केले की जड़ थोड़ी काटकर ले आएँ और इसे पीले कपड़े में बांधकर लड़की के गले में बांध दें। शीघ्र ही विवाह हो जाएगा।
2- यदि आपके बच्चे को अक्सर नजर लगती है तो नवरात्रि में हनुमानजी के मंदिर में जाकर हनुमानचालीसा का पाठ करें और दाहिने पैर का सिंदूर बच्चे के मस्तक पर लगाएं। बच्चे को नजर नहीं लगेगी।
3- यदि नौकरी नहीं मिल रही है तो भैरवजी के मंदिर जाकर प्रार्थना करें व नैवेद्य चढ़ाएं। इससे नौकरी से संबंधित आपकी सभी समस्याएं हल हो जाएंगी।
4- शत्रुओं की संख्या बढ़ गई है और उनसे भय लगने लगा है तो नवरात्रि में प्रतिदिन भगवान नृसिंह के मंदिर में जाकर उनका दर्शन करें व पूजन करें।
5- धन प्राप्ति के लिए लक्ष्मी-नारायण के मंदिर में जाकर खीर व मिश्री का प्रसाद चढ़ाएं व शुक्रवार के दिन 9 वर्ष तक की कन्याओं को उनकी पसंद का भोजन कराएं। हो सके तो उन्हें कुछ उपहार भी दें।
6- पीपल के पत्ते पर राम लिखकर तथा कुछ मीठा रखकर हनुमान मंदिर में चढ़ाएं। इससे भी धन लाभ होने लगेगा।
7- भगवान शंकर आरोग्य के देवता है। नवरात्रि में उन्हें प्रतिदिन सुबह एक लोटा जल चढ़ाएं और रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें। शीघ्र ही आपके स्वास्थ्य में लाभ होगा।